महिला दिवस और होली मिलन की खबर से झूम उठी सखी- बहिनपा।
मुंबई: दो साल के लंबे अरसे से कोरोना काल के समय में एक दुसरे से लोग जुदा होने के कारण मिलन की खबर से सब सखी- बहिनपा हर्ष से भर उठीं, जिसकी झलक 'महिला दिवस और होली मिलन' के साझा कार्यक्रम में सहर्ष हीं दिखाई दे गया। सभी रंग- बिरंगे परिधान में 'ओसिन 5' भोजनालय (रेस्ट्रां) खारघर, पहुँचीं और फिर जो माहौल बना, क्या कहें।
मिलना- मिलाना और शरबत- पान के बाद कार्यक्रम की शुरुआत की भगवती गीत से आशा पाठक , प्रियंका मिश्रा, नेहा मिश्रा, संध्या पाठक, वर्षा झा, सोनी मिश्रा, रजनी रंजन, कंचन मिश्रा, स्मिता झा और सुलेखा दास ने किया। जिसके उपरांत प्रियंका मिश्रा ने मैथिलीपुत्र प्रदीप का लिखा वसंतगीत स्वयंरचित एक अंतरा जोड़कर गाया और श़मा बाँध दिया। कार्यक्रम प्रियंका के संचालन में आगे बढ़ा और फिर क्रमशः रजनी रंजन द्वारा एकल नाटक, सुलेखा दास और नेहा मिश्रा द्वारा गायन, सरिता झा और चित्रा झा द्वारा नृत्य तथा स्मिता झा और दीक्षा झा द्वारा कविता पाठ किया गयास्मिता ने अपने पापा की लिखी किताब,' बदलि गेल आब गाम' से कविता पाठ किया, जबकि दीक्षा ने अपनी सासु माँ और अपनी रचना का पाठ किया। कंचन कंठ ने अपनी बहन चंदना दत्त की एक कविता का पाठ किया।
नीलम लाल ने 'कैकयी प्रसंग' में रामायण में कैकयी के नजरिये का उल्लेख किया। बीच- बीच में मिथिला के विध- व्यवहार को दर्शाती तीन झा॔कियाँ प्रस्तुत की गईं। जिसमें संध्या पाठक ने जनेऊ में 'मटकोर' का दृश्य, कंचन कंठ ने बेटी- विवाह में 'पसाहिन' का दृश्य और प्रियंका मिश्रा ने विवाह में 'नैना- जोगिन' का दृश्य प्रस्तुत करते हुए, 'नैना- जोगिन' में पढ़ा जाने वाला परंपरागत 'फकरा'भी पढ़ा। झाँकियों में सभी सखियों ने हिस्सा लिया। सब सखियों ने विध की पहचान की और उससे संबंधित गीत भी गाए और इस सबका उद्देश्य सबको अपने विध- व्यवहार से परिचित कराते हुए, उसमें रूचि जगाना था। सरिता झा, चित्रा झा, रजनी रंजन और स्मिता झा ने मिलकर, कंचन कंठ द्वारा लिखित नाटक, ' आवाहन' का मंचन किया। फिर प्रियंका ने नाटक का संदेश साझा करते हुए कहा कि सभी प्रांत के मैथिल भाषियों को एकजुट होकर मैथिली को सशक्त करने में अपना योगदान देने की आवश्यकता है और सबने मिलकर सखी- बहिनपा की एकता का गीत गाया।कार्यक्रम के अंतर्गत दो पुस्तकों का भी विमोचन हुआ। पहली पुस्तक, 'सखी- बहिनपा' स्मारिका का विमोचन वरिष्ठ सदस्या आदरणीया मालती दास के कर- कमलों द्वारा किया गया। इस स्मारिका में कई सखियों की रचनाओं के संग नवी मुंबई इकाई से कंचन कंठ, प्रियंका मिश्रा और संध्या पाठक की भी रचनाएँ सम्मिलित हैं। कंचन कंठ ने स्मारिका में छपी अपनी लिखी लघु-कथा, ' सशक्त' का पाठ भी किया। दूसरी पुस्तक, 'मैथिली' का विमोचन वरिष्ठ सदस्या आदरणीया उषा पाठक के कर- कमलों द्वारा किया गया। इस पुस्तक में 151 मिथिलानियों की कृतियाँ सम्मिलित हैं। इस कविता में हिन्दी के नवरसों में रचनाएँ संग्रहित की गई हैं। मैथिली की महान रचनाकारों के संग पुस्तक में नवी मुंबई की चार सखियाँ, प्रियंका मिश्रा, संध्या पाठक, कंचन कंठ और दीपिका झा की रचनाओं को भी स्थान प्राप्त हुआ। इस गौरव के क्षण में पुस्तक से प्रियंका मिश्रा ने अपनी रौद्र रस की कविता 'अपराध किएक' और संध्या मिश्रा ने अपनी रौद्र रस की कविता ' किएक नहि' का पाठ किया। दोनों वरिष्ठ सदस्याओं ने समूह को आशीर्वाद देते हुए उत्साहवर्धन किया। महिलाओं की आत्मनिर्भरता सिद्ध करते हुए, सुलेखा दास ने अपने हाथों बनाई अदौरी सस्ते दामों पर सखियों को दी। आशा पाठक मोदीकेयर से जुड़ी हैं तो कुछ वस्तुओं के बारे में उन्होंने बताया। कंचन कंठ, कुर्ती पर मिथिलाक्षर की कढ़ाई कर लाई थीं।इसी बीच रश्मि लाल सखी ने जो दूर रहने की वजह से पहली बार मिलन पे आ सकी थीं, बताया कि कैसे उन्होंने और उनके परिवार में सभी ने अंग- दान किया है। यह सबके लिए बहुत प्रेरणादायी और उत्साहजनक था।
इस बीच सभी सखियों ने भोजन का आनंद लिया और फिर एक- दूसरे को गुलाल लगाते हुए होली गीत के साथ- साथ मिथिला की परंपरानुसार होली में गाया जाने वाला 'जोगीरा' गाया और नृत्य किया। इस तरह- नाचते- झूमते, कार्यक्रम की समाप्ति कर सभी सहेलियाँ अगले मिलन की आस में अपने- अपने घर को चल दीं।
📸©️- प्रियंका मिश्रा
बहुत- बहुत आभार🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ।🙏🏻🙏🏻
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार 🙏🙏💐
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